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पूसा परिसर में बिल गेट्स ने किया दौरा, खेती किसानी के प्रति व्यक्त की अपनी रुची

पूसा परिसर में बिल गेट्स ने किया दौरा, खेती किसानी के प्रति व्यक्त की अपनी रुची

गेट्स फाउंडेशन के चेयरमैन ब‍िल गेट्स (Bill Gates) द्वारा पूसा कैंपस में गेहूं एवं चने की उन प्रजातियों की फसलों के विषयों में जाना जो जलवायु पर‍िवर्तन की जटिलताओं का सामना करने में समर्थ हैं। विश्व के अरबपति बिल गेट्स (Bill Gates) द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) का भृमण करते हुए, यहां के पूसा परिसर में तकरीबन डेढ़ घंटे का समय व्यतीत किया एवं खेती व जलवायु बदलाव के विषय में लोगों से विचार-विमर्श किया।

बिल गेट्स ने कृषि क्षेत्र में अपनी रुची जाहिर की

आईएआरआई के निदेशक ए.के. सिंह द्वारा मीडिया को कहा गया है, कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष एवं ट्रस्टी बिल गेट्स (Bill Gates) द्वारा आईएआरआई के कृषि-अनुसंधान कार्यक्रमों, प्रमुख रूप से जलवायु अनुकूलित कृषि एवं संरक्षण कृषि में गहन रुचि व्यक्त की।

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इसी मध्य गेट्स (Bill Gates) द्वारा आईएआरआई की जलवायु में बदलाव सुविधा एवं कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च पैमाने के सहित खेतों में उत्पादित की जाने वाली फसलों के विषय में जानकारी अर्जित की है। बिल गेट्स ने मक्का-गेहूं फसल प्रणाली के अंतर्गत सुरक्षित कृषि पर एक कार्यक्रम में भी मौजूदगी दर्ज की। गेट्स ने संरक्षण कृषि के प्रति अपनी विशेष रुचि व्यक्त की। उसकी यह वजह है, कि गेट्स का एक लक्ष्य विश्व स्तर पर कुपोषण की परेशानी का निराकरण करना है। इसलिए ही वह स्थायी कृषि उपकरण विकसित करने के लिए निवेश कर रहे हैं। बिल गेट्स द्वारा खेतों में कीड़ों एवं बीमारियों की निगरानी हेतु आईएआरआई द्वारा विकसित ड्रोन तकनीक समेत सूखे में उत्पादित होने वाले छोले पर हो रहे एक कार्यक्रम को ध्यानपूर्वक देखा।

बिल गेट्स (Bill Gates) ने दौरा करने के बाद क्या कहा

संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार स‍िंह द्वारा गेट्स के दौरा को कृषि अध्ययन एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कारगर कदम बताया है। गेट्स का कहना है, क‍ि देश में कृष‍ि के राष्ट्रीय प्रोग्राम अपनी बेहद अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। फाउंडेशन से जुड़कर कार्य करने एवं सहायता लेने हेतु योजना निर्मित कर दी जाएगी। जलवायु परिवर्तन, बायोफोर्टिफिकेशन से लेकर फाउंडेशन सहयोग व मदद करेगा तब और बेहतर होगा। आईएआरआई को जीनोम एडिटिंग की भाँति नवीन विज्ञान के इलाकों में जीनोम चयन एवं मानव संसाधन विकास का इस्तेमाल करके पौधों के प्रजनन के डिजिटलीकरण पर परियोजनाओं हेतु धन उपलब्ध कराया जाएगा।
जानें आईएआरआई-पूसा किस तरह किसानों को MSP से दोगुनी कीमत दिला रहा है ?

जानें आईएआरआई-पूसा किस तरह किसानों को MSP से दोगुनी कीमत दिला रहा है ?

किसान भाइयों आज हम आपके लिए एक अच्छी खबर लेकर आए हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे कि, आपके लिए अच्छी खबर क्या है। तो अगर आपसे कोई कहे कि आपकी फसल का एमएसपी से डेढ़ गुना ज्यादा भाव मिल सकता है, तो यह किसानों के लिए काफी खुशी का समाचार होगा। जी हाँ, बेशक आपको यह सुनकर बड़ा ही अजीब लग रहा होगा। अब आप यह सोच रहे होंगे कि जब सरकार ने एमएसपी तय कर रखी है तो उससे ज्यादा भाव कैसे मिल सकता है। यदि यह कहा जाए कि इसमें स्वयं इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएआरआई-पूसा) कृषकों की सहायता कर रहा है, तो आपको और भी ज्यादा अचम्भा होगा। परन्तु यह बात एकदम सत्य है। हजारों की संख्या में किसान पूसा की सहायता से एमएसपी से फसल का डेढ़ गुना या इससे भी ज्यादा भाव प्राप्त कर रहे हैं।

आईएआरआई कैसे कर रहा है किसानों की मदद

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक और बीज उत्‍पादन इकाई के प्रभारी डा. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है, कि "आईएआरआई किसानों की पैदावार और आय बढ़ाने में मदद कर रहा है। यह प्रयास इसी कड़ी में ही किया गया है। उन्‍होंने बताया कि आईएआरआई के पास इतनी जमीन नहीं है, कि वो तमाम किसानों को उच्‍च गुणवत्‍ता वाले बीज मुहैया करा पैदावार बढ़वा सके। इसके लिए वो किसानों के खेतों में बीज तैयार करा रहा है। आईएआरआई का यह प्रयास किसानों की आय और पैदावार दोनों को बढ़ाने में मददगार हो रहा है। शोधों से स्‍पष्‍ट हो गया है, कि उन्‍नत किस्‍म के बीजों से 30 से 40 प्रतिशत तक उपज बढ़ाई जा सकती है।

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किसानों को MSP से दोगुनी कीमत पाने के लिए इस प्रकिया से गुजरना पड़ेगा

डा. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है, कि "सबसे पहले वैज्ञानिक यह देखते हैं कि किस फसल की कौन सी प्रजाति अच्‍छी है और उसके बीज के लिए कौन-कौन से इलाके सबसे अच्‍छे रहेंगे। जहां पर सबसे उच्‍च गुणत्‍ता का बीज पैदा करा सकते हैं। वैज्ञानिक इस पर रिसर्च करते हैं। इसके बाद वहां के किसानों से संपर्क करते हैं। इसमें किसानों के चयन के बहुत सारे आधार होते हैं। बीज तैयार करने में लागत किसान के द्वारा ही लगाई जाती है। लेकिन गाइड यानी दिशा निर्देशन आईएआरआई के वैज्ञानिक करते हैं। इस प्रक्रिया में आईएआरआई केन्‍द्र के 100-120 किमी. के दायरे में रहने वाले किसानों का चयन किया जाता है, जिससे उन्‍हें बीज तैयार होने के बाद केन्‍द्र में पहुंचाने में ज्‍यादा खर्च ना करना पड़े। कई किसान मिलकर भी बीज उत्‍पादन में शामिल हो सकते हैं, जिससे उनका बीज पहुंचाने में भाड़ा कम लगेगा।"

किसानों द्वारा तैयार की गई फसल का इस तरह भुगतान होगा

किसान अपनी फसल को तैयार होने के बाद आईएआरआई केन्‍द्र पर ले जाता है। किसान को उसी समय एमएसपी के मुताबिक भुगतान किया जाता है। इसके पश्चात वैज्ञानिक उसकी जांच-पड़ताल करते हैं, जिसमें औसतन 8 फीसदी माल गुणवत्‍ता के अनुरूप नहीं निकलता है। इसके लिए किसान और खरीदार को केन्‍द्र में बुलाया जाता है, जो इस माल को बेचता है। चूंकि, आईएआरआई इसे बीज के रूप में तैयार कराता है। इस वजह से फसल और बीज कीमत में एमएसपी के अनुसार करीब डेढ़ गुना या इससे भी ज्यादा का अंतर होता है। आईएआरआई किसान को अंतर में आए रुपये का भुगतान करता है। इस तरह से किसान को डेढ़ गुना से अधिक लागत मिल जाती है।

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कृषकों को मिलेगी घर बैठे जानकारी

किसान भाई पूसा दिल्‍ली के बीज उत्‍पादन से सीधा 011 25842686 पर डायल करके संपर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त देशभर के किसान विज्ञान केन्‍द्र (केवीके) और एग्रीकल्‍चर टेक्‍नीकल इनफार्मेशन केन्‍द्र (एटीके) से संपर्क कर इसकी जानकारी हांसिल कर सकते हैं।

दिल्‍ली, उत्तर प्रदेश समेत इन राज्‍यों के किसान यहां संपर्क कर सकते हैं 

दिल्‍ली के समीपवर्ती शहरों में रहने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) दिल्‍ली में बीज इकाई में जाकर सीधा संपर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में वाराणसी, मेरठ, मोदीपुरम, मऊ, इज्‍जतनगर, लखनऊ, झांसी और कानपुर, मध्‍य प्रदेश में भोपाल, हरियाणा में करनाल और हिसार, राजस्‍थान में जोधपुर और बीकानेर, बिहार में पटना, छत्‍तीसढ़ में रायपुर, झारखंड में रांची, उत्‍तराखंड में देहरादून और अल्‍मोड़ा के आईसीएआर में जाकर इसकी जानकारी हांसिल कर सकते हैं।

भारत के अन्‍य राज्‍यों के लोग कैसे करें संपर्क

पूरे भारत के किसान फार्मर व्‍हाट्सअप हेल्‍पलाइन 9560297502, पूसा हेल्‍पलाइन 011-25841670 / 25841039, 25842686 और पूसा एग्रीकॉम 1800-11-8989 टोल फ्री नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। ऑनलाइन सवाल https://www.iari.res.in/bms/faq/index.php पर भेज सकते हैं।